आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यह एक ऐसा ट्रीटमेंट है जिसके द्वारा निःसंतानता था या बांझपन का उपचार पूरी सफलता के द्वारा किया जाता है ।परंतु आईवीएफ करवाने से पहले हमें कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि यदि अगर हम इन बातों का ध्यान रख लेते हैं तो हमें आईवीएफ के ट्रीटमेंट में बहुत आसानी मिलती हैं ।
आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में निःसंतानता अपनी जड़ें पूरी मजबूती के साथ फैला रहा है परंतु आईवीएफ ट्रीटमेंट के द्वारा इसका उपचार पूरी तरह से संभव है ।
यदि कोई दंपत्ति निःसंतानता का शिकार है और आईवीएफ का ट्रीटमेंट लेना चाहता है तो नीचे दी गई जाचों के बारे में जरूर जाना चाहिए और करवाना भी चाहिए । यह दोनों टेस्ट हैं जिनके करवाने के बाद हमें पूरी तरह से पता चल जाता है कि आखिर कमी कहां पर है ।
आईवीएफ का ट्रीटमेंट लेने से पहले दो प्रकार के टेस्ट होते हैं पहला महिलाओं में और दूसरा पुरुषों में ।
एक टेस्ट होता है पुरुषों में जिसके अंतर्गत उनके वीर्य अर्थात स्पर्म की जांच होती है । इस जांच में पुरुषों के शुक्राणुओं की मात्रा को देखा जाता है अर्थात count उसकी गतिशीलता, आकार एवं उसकी बनावट, motility, morphology इत्यादि । आईवीएफ ट्रीटमेंट के पूर्व महिलाओं में होने वाले टेस्ट पुरुषों की अपेक्षा अधिक होते हैं ।
आईवीएफ के पहले महिलाओं में मुख्य रूप से तीन टेस्ट होते हैं । पहला टेस्ट सोनोग्राफी तथा दूसरा टेस्ट ट्यूब टेस्ट के नाम से जाना जाता है ।सोनोग्राफी के माध्यम से हम महिलाओं के गर्भाशय एवं अंडाशय की जांच की जाती है ।अंडाशय की जांच के दौरान देखा जाता है कि उनके अंडे की क्षमता कैसी है, अंडे बन रहे हैं या नहीं बन रहे हैं ।
दूसरा जो ट्यूब टेस्ट होता है वह एचएसजी या लेप्रोस्कोपी के द्वारा किया जाता है । इस टेस्ट के द्वारा हमें यह पता चल जाता है कि महिला की ट्यूब ओपन है या फिर बंद है।
यदि किसी कारण से महिला का अंडा और पुरुष का स्पर्म मिल नहीं पा रहे हैं या फिर भ्रूण तैयार नहीं हो पा रहा है तो फिर ऐसी स्थिति में डॉक्टर अक्सर आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने की सलाह देते हैं ।
किन किन परिस्थितियों में आईवीएफ ट्रीटमेंट लेना कारगर होता है
यदि किसी महिला की नलिया अर्थात फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक है तो ऐसी स्थिति में egg और स्पर्म मिल नहीं पाते हैं । जिसके कारण महिलाएं गर्भधारण में सक्षम होती हैं ।ब्लॉक फेलोपियन ट्यूब होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कोई सर्जरी करवाई हो, या फिर सही से माहवारी ना आ रही हो इत्यादि कारण हो सकते हैं।
आइए विस्तार से जानते हैं ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब में होने वाली जातियों के बारे में आईवीएफ के एक्सपर्ट डॉक्टर सबसे पहले गर्भाशय की जांच अच्छे तरीके से करते हैं और पता लगाते हैं कि गर्भाशय मैं भ्रूण विकसित हो रहा है या नहीं ।गर्भाशय की जांच सोनोग्राफी के माध्यम से की जाती है ।
- ब्लड टेस्ट करना भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि औरतों में फर्टिलिटी की अन्य जातियों के अतिरिक्त रक्त की जांच भी बहुत ही महत्वपूर्ण होती है जिस में संक्रमण प्रोलेक्टिन थायराइड इत्यादि के बारे में पूरी तरह से पता चल जाता है ।
- अंडों का परीक्षण करना भी अति महत्वपूर्ण होता है यह अल्ट्रासाउंड के द्वारा किया जाता है ।परीक्षण के द्वारा अंडों की संख्या मात्रा गुणवत्ता हार्मोन की मात्रा इत्यादि चीजों का पूरी तरह से पता चल जाता है जिससे कि आईवीएफ ट्रीटमेंट देने में काफी आसानी हो जाती है ।
- फैलोपियन ट्यूब का परीक्षण करना बहुत ही अनिवार्य होता है क्योंकि भूर्ण बनने का जो सिस्टम होता है वह फैलोपियन ट्यूब के अंदर ही होता है इसलिए ट्यूब की यथा उचित स्थिति का पता होना बहुत जरूरी है ।यदि ट्यूब में संक्रमण या ब्लॉकेज होने जैसी कोई भी समस्या है तो महिला को प्रेगनेंसी होने में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।
यदि आप भी बांझपन या निःसंतानता जैसी किसी भी महिला समस्या से परेशान हैं तो इंडिया आईवीएफ आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित होगा। यहां पर हमारे एक्सपर्ट डॉक्टर आपकी हर संभव मदद के लिए हमेशा तत्पर्य है।
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